बुधवार, 10 दिसंबर 2014

नरगौना पैलेस

नरगौना पैलेस, दरभंगा

नरगौना पैलेस, दरभंगा। कहने को यह भारत के सबसे अमीर जमींदार का आखरी महल है, लेकिन हिंदुस्‍तान के इतिहास में इसने बहुत कुछ पहली बार दिखाया। यह भारत का पहला भूकंपरोधि महल है। इसका निर्माण 1934 में आये भूकंप के बाद महाराजा कामेश्‍वर सिंह
ने क्षतिग्रस्‍त छत्र निवास पैलेस के स्‍थान पर कराया था। इस महल में एक भी ईंट का प्रयोग नहीं हुआ है। यह भारत का इकलौता महल है, जिसके परिसर में रेलवे स्‍टेशन है। 1941 में तैयार हुए इस दो मंजिले पैलेस में कुल 14 महाराजा सूट है, जो विभिन्‍न राज्‍यों के स्‍थापत्‍य शैली से सुसज्जित है। इन सूइट में एक नेपाल के राजा का भी है, जिसमें नेपाल नरेश त्रिभुवन रात गुजार चुके हैं। कहा जाता है कि नेपाल नरेश देश की सीमा के बाहर रात नहीं गुजारा करते थे। पहली बार यहीं नेपाल के किसी राजा ने यहीं रात गुजारा था। इससे पहले नेपाल के राजा रात अपनी सीमा में ही गुजारते थे। बिहार का सबसे पुराना लिफट भी इसी महल मे लगा हुआ है। बिहार में पहली बार इसी महल में प्‍लास्‍टर आफ पेरिस का प्रयोग हुआ था। इटेलियन मारवल, चीनी मोहबनी (टीक) और बेलजियम ग्‍लास से बने इस महल को बिहार का व्‍हाईट हाउस भी कहा जा सकता है। कई प्रकार के कमरोंवाले इस महल में उत्‍तर भारत का इकलौता बॉल डांस हॉल है, जिसमें आवाज की गूंज राष्‍ट्रपति भवन के अशोक हॉल से भी कम है। इस पैलेस की सबसे बडी खूबी इसका डिजाइन है, यह तितली जैसा है। जिसके तहत यह दो दिशाओं से देखने में एक समान लगता है और हर कमरा सीधा सामने की ओर खुलता है। इस महल में दो तरणताल हैं, जिनमें से एक गरम पानी वाला तरणताल पैलेस के अंदर है और बिहार का पहला तरणताल है। इस तरणताल में जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह और नेपाल के राजा त्रिभुवन समेत कई एतिहासिक हस्तियों के स्‍नान करने की बात कही जाती है। लांग टेनिस, बैडमिंटन से लेकर कई प्रकार के खेलों के लिए परिसर में आधारभूत संरचना बनायी गयी हैं। इसके अलावा एक जैविक उद्यान भी, जिसमें करीब 40 हजार पेड थे। चंदन समेत कुछ ऐसी प्रजातियों के पेड भी यहां थे, जो बिहार ही नहीं अपितु एशिया में केवल यहीं थे। यह महल एक जमींदार ने जरूर बनाया था, लेकिन इसमें संविधानसभा के सदस्‍य, राज्‍यसभा में बिहार के प्रतिनिधि और बिहार के सबसे बडे उद्योगपति रहते थे। इस महल के पास एक और रिकार्ड है वो यह है कि भारत के राष्‍ट्रपति राज्‍य के अतिथि होते हैं। लेकिन आजादी से लेकर अब तक केवल एक बार राष्‍ट्रपति किसी के निजी मेहमान बने है। वो राष्‍ट्रपति थे राजेंद्र प्रसाद और वो व्‍यक्ति थे कामेश्‍वर सिंह। भारत के राष्‍ट्रपति को निजी तौर पर ठहराने का सौभाग्‍य भी केवल इसी पैलेस को मिला हुआ है। यह महल निश्चित रूप से देश के अन्‍य महत्‍वपूर्ण महलों की तरह आम जनता के लिए उपलब्‍ध होना चाहिए था। इस आधारभूत संरचना का लाभ दरभंगा में पर्यटकों को लुभाने के लिए भी किया जा सकता था, लेकिन इस महल को 1975 में बिहार सरकार ने एक गलत काम के लिए खरीद लिया। संप्रति ललित नारायण मिथिला विश्‍वविद्यालय तन-मन-धन से इसे खंडहर बनाने में जुटा हुआ है। आइये हम हैदराबाद चल कर फलकनुमा पैलेस देखें।

~ कुमुद सिंह

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