बुधवार, 10 दिसंबर 2014

दरभंगा और दशहरा - जो अब मात्र स्मृति में है

गौरवशाली अतीत - तस्वीर १
दशहरे पर सजधज कर हाथियों की शोभायात्रा देखने जब कोई दरभंगा से मैसूर जाता है तो उसे कभी इस बात को लेकर दुख नहीं होता कि यह परंपरा उसने अपने घर में खत्‍म होते देखा है। हम वो हर
चीज आज देखना चाहते हैं जो हमारे पास थी और हमने उसकी हत्‍या कर दी। हमें उस परंपरा पर तो गर्व है, लेकिन दूसरी जगह है तो अपने यहां क्‍यों नहीं, इस पर विचार कौन करेगा। अगर यह परंपरा मिथिला के लोग जीवित रखते तो आज पर्यटन कारोबार तो फलता-फलता ही, बेरोजगारी भी कम होती।
गौरवशाली अतीत - तस्वीर २
1961 तक दशहरे पर सजधज कर हाथियों की शोभायात्रा निकलती थी। 1962 में दशहरे के दौरान महाराजाधिराज कामेश्‍वर सिंह के निधन के कारण इस शोभा यात्रा को स्‍थगित किया गया जो फिर कभी आयोजित नहीं हुआ।
गौरवशाली अतीत - तस्वीर - ३

~ कुमुद सिंह

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