मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016 0 टिप्पणियाँ

मौज-ए-सुल्‍तानी का मजार और दरभंगा





यह मजार हिंदुस्तान के आखरी मुगल बादशाह के सबसे बडे पोते जुबैरूद्दीन बहादुर का। अंग्रेज से बच कर दरभंगा पहुंचे इस मुगल शासन के उत्तराधिकारी को राज अतिथि का दरजा देकर दरभंगा ने अपना कर्ज चुकाया था। अगर 1857 का विद्रोह सफल हो जाता तो जुबैरूद्दीन देश के शासक होते। यह मजार दरभंगा में अपनी वजूद की लडाई लड रहा है।
शुक्रवार, 13 नवंबर 2015 4 टिप्पणियाँ

उपेक्षांजलि - दरभंगा एक खोज

darbhanga palace, bihar
राज दरभंगा का एक नायाब धरोहर


दरभंगा संस्कृत के दारू-भंग (लकडी को काट कर बना शहर) से उदभूत हुआ शब्‍द है। फारसी में इसके लिए दर-ए-बंग लिखा जाता है। लेकिन बंगाल के साहित्यिक, सामाजिक,ज्योतिषीय रचनाओं में दरभंगा को आज भी द्वार-बंग ही संबोधित किया जाता है। 1402 ई में महाकवि विद्यापति के संरक्षक राजा शिव सिंह के जौनपुर के शार्की सुल्तान के द्वारा पराजय यानि राजा के दल-भंग से दरभंगा का उदभूत होना तर्क संगत नहीं है। इसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य भी नहीं
शुक्रवार, 4 सितंबर 2015 5 टिप्पणियाँ

महाराजा कामेश्‍वर सिंह का तिरहुत के लोगों के लिए जारी सार्वजनिक पत्र का हिंदी में अनुदित अंश

जीवंत इतिहास


1950 में जमींदारी उन्‍मूलन के बाद इंडियन नेशन में प्रकाशित महाराजा कामेश्‍वर सिंह का तिरहुत के लोगों के लिए जारी सार्वजनिक पत्र का हिंदी में अनुदित अंश।
बुधवार, 29 अप्रैल 2015 0 टिप्पणियाँ

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस : मरा हाथी भी नौ लाख का


Lakshmeshwar Vilas Palace, Darbhanga (Bihar)
Lakshmeshwar Vilas Palace, Darbhanga (Bihar) या लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस, आनंदबाग,दरभंगा, बिहार, भारत।

19वीं शताब्‍दी में निर्मित एशिया के सर्वश्रेष्ठ महलों में इसका नाम सबसे ऊपर रखा जाता है। फ्रेंच वास्तुशिल्प से बना लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस आज एक यूनिवर्सिटी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन इसकी खूबसूरती और सुविधाओं के चर्चे 1884 में प्रकाशित लंदन टाइम्‍स के मुख्‍य पन्‍ने पर जगह बना चुकी है। वैसे हाल के वर्षों में हुए एक ताजा सर्वे में भी इस महल को भारत का 15वां सबसे सुदर वास्तुशिल्प वाला महल
मंगलवार, 28 अप्रैल 2015 2 टिप्पणियाँ

तकनीकी शिक्षा और दरभंगा

technical institute darbhanga

आये दिन लोग इस बात को लेकर बहस करते हैं कि दरभंगा से छात्रों का पलायन हो रहा है। खासकर उन छात्रों का जो तकनीकी शिक्षा ग्रहण करते हैं। आज रोजगार पाने के लिए तकनीकी शिक्षा अनिवार्य हो चुका है, लेकिन यह बात गांधी 1930 के आसपास ही समझ गये थे। गांधी उसी वक्‍त कहा था कि कला महाविद्यालय से बेरोजगारी पैदा होगी, देश में रोजगार पैदा करने के लिए तकनीकी संस्‍थाएं खोलनी चाहिए। गांधी जानते थे कि उनका प्रभाव तिरहुत सरकार पर है और तिरहुत सरकार इस दिशा में ठोस पहल कर सकती है। एशिया में जैविक खेती के लिए समस्‍तीपुर में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर
 
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