इतिहास और वर्तमान |
नरगौना परिसर स्थित इसी स्टेशन पर आकर रुकती थी। छत्र निवास पैलेस जो बाद में नरगौना पैलेस हुआ देश का इकलौता महल था जिसके परिसर में रेलवे स्टेशन था। इस धरोहर को जनता के लिए बचा कर रखना चाहिए था। एक ओर जहां पैलेस आन व्हील गायब कर दिया गया, वहीं इस स्टेशन को भी नष्ट करने में भगवान जगन्नाथ ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अगर यह धरोहरों बचा कर रखा जाता तो आज अन्य पैलेस आन व्हील की तरह तिरहुत का भी अपना शाही ट्रेन होता। वहीं मिथिला विश्वविद्यालय विश्व का इकलौता विश्वविद्यालय होता जिसके परिसर में रेलवे टर्मिनल होता। बनारस और जेएनयू में जब बस टर्मिनल देखने को मिला जो यह स्टेशन याद आ गया। आप अगर इन तसवीरों का प्रयोग करें तो श्री हेतुकर झा, प्रबंधन न्यासी, महाराजा कामेश्वर सिंह फाउंडेश को साभार देना मत भूलें, उनकी वजह से बहुत कुछ आज हम और आप देख और पढ रहे हैं।
~ कुमुद सिंह
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