मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

भारत के पहले लिफ्ट की परिकल्पना, निर्माण और श्रेय

लिफ्ट की परिकल्पना भले ही पश्चिमी देशों से निकली हो। हमारे देश में भी 18वीं शताब्दी के आखिर में तिरहुत सरकार ने इसकी परिकल्पना कर ली थी। रानी और राजमाता के गंगा स्नान की सुविधा के लिए तिरहुत सरकार ने उस समय चक्र (पुलि) पर चलने वाली लिफ्ट को काशी के दरभंगा हाउस में
लगवाया था। दरअसल रानी और राजमाता जब गंगा स्नान के लिए महल से रोज निकलती थी तो उनको सकरी गलियों से होकर आना-जाना पड़ता था। रानी और राजमाता के आवागमन से आम जनता को परेशानी न हो इसलिए महराजा लक्ष्‍मेश्वर सिंह ने 50 फुट ऊंचे दरभंगा हाउस के ठीक सामने की ओर मीनार में हाथ से चलने वाली लिफ्ट बनवा दी थी। गंगा के पश्चिमी तट पर बसी अस्सी और वरुणा के बीच का भूगोल वाराणसी के नाम से विश्वविख्यात है। प्राचीन लोकभाषा "पाली" में वाराणसी को ढाई हजार साल पहले से आमलोग "बनारस" कहा करते थे। भारत के हर प्रदेश के प्रमुख राजघरानों और जमीदारों ने बनारस में आकर बसने का सपना देखा और शायद उसी का परिणाम हैं कि हर घाट के निर्माण में या घाट के ऊपर महलों या भवनों ने अलग-अलग प्रदेश की पहचान और छाप छोड़ी। 100 के ऊपर वाराणसी के घाटो के बीच घाट है 'दरभंगा घाट'। तिरहुत सरकार ने 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में दरभंगा हाउस का निर्माण कराया था। यह आज भी अपनी मनमोहक नक्काशी और रूप के लिए जाना जाता है। काशी हिन्दू विश्वविध्यालय के इतिहासकार डॉ राजीव भी मानते हैं कि यह भारत का संभवत: पहला 'लिफ्ट' है। आधुनिक लिफ्ट की परिकल्पना भले ही पश्चिमी देशों ने की हो, परन्तु भारत में कुंए से पानी निकालने की विधा बहुत प्राचीन है। चक्र यानी पुलि के सहारे भारी वस्तु ऊपर भी जा सकती हैं और नीचे भी आ सकती हैं। इसी विधा पर तिरहुत सरकार ने 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में हाथ से चलने वाली लिफ्ट को महल में बनवाया था। इसके ाध्‍यम से रानी और राजमाता को जब गंगा स्नान के लिए घाट पर आना होता था तो उस समय वह महल के बाहरी हिस्से में बनी मीनार में लगे लिफ्ट की मदद से सीधे घाट पर उतर आती थी। स्नान के बाद रानी और राजमाता पुनः लिफ्ट के माध्यम से महल में वापस चली जाती थी। दरभंगा की आखिरी महारानी कामसुंदरी साहिबा ने 90 के दशक में दरभंगा हाउस को एक निजी कारोबारी के हाथों बेच दिया। रख-रखाव की वजह से बहुत पहले ही हाथों से चलने वाला लिफ्ट काल के गर्त में समा चुका है। जो भी पर्यटक इसके बारे में जानते हैं वह दरभंगा घाट पर बने इस महल को जरूर देखने आते हैं। दरभंगा हाउस इतिहास की एक धरोहर है। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में ही हमारे देश में लोग लिफ्ट का इस्तेमाल करने लगे थे। विज्ञान का अद्भुत समन्वय दरभंगा हाउस की लिफ्ट थी जो आज इतिहास के पन्नों में रह गई है।

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