शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इतिहास

भारत में पब्लिक ट्रास्पोर्ट का इतिहास
भारत में पब्लिक ट्रास्पोर्ट और कलकत्ता का Walford Transport Ltd भारत में पब्लिक ट्रास्पोर्ट के रूप में बसों और ट्रकों की शुरुआत 1920 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई। इससे पहले पब्लिक ट्रास्पोर्ट में बसों का कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता है। बंगाल राज्य परिवहन
इतिहास भी कहता है कि 1920 से कलकत्ता में बसों का परिचालन निजी तौर पर शुरु हो चुका था। दस्तावेज बताते हैं कि आम लोगों को परिवहन सुविधा सुलभ बनाने के लिए 17 मई, 1920 में भारत की पहली निजी ट्रास्पोर्ट कंपनी Walford Transport Ltd की स्थापना तिरहुत सरकार महाराजा रामेश्वर सिंह ने कलकत्ता में की। इसका पंजीयन संख्या 3772 था और निबंधित कार्यालय 71, PARK STREET , KOLKATA - 700016, West Bengal INDIA बताया गया है। करीब Rs. 4,000,000 अधिकृत शेयरधारी इस कंपनी का Corporate Identification Number (CIN) U63090WB1920PLC003772 बताया गया है। 1 अप्रैल, 1945 में कूचबिहार के महाराजा ने भी एक ऐसी कंपनी की शुरुआत की, जिसे बाद में उत्तर बंगाल स्टेट ट्रास्पोर्ट के नाम से सरकारीकरण किया गया। जहां तक सरकारी परिवहन का सवाल है तो दस्‍तावेज बताता है कि 'State Transport Services' under the Directorate of Transportation, Govt. of West Bengal was established in the form of an organised public sector on 31st July 1948. The State Transport Services was subsequently transformed as 'Calcutta State Transport Corporation' on 15th June 1960 under the Road Transport Corporation Act, 1950. 1940 के एक दस्‍तावेज के अनुसार Walford Transport, Ltd, Automobile Engineers and Transport Agents—71;73 Park Street. Phone, P. K. 1620; Service Station and Stores, 117-119 Park Street. Phone, (source pages 227-236 of John Barry: “Calcutta 1940” Calcutta: Central Press, 1940.) (COPYRIGHT NOTICE: Reproduced under 'fair dealing' terms as part of a non commercial educational research project. The copyright remains with John Barry 1940 इस प्रकार आजादी से पूर्व तक Walford Transport Ltd कंपनी न केवल आम जनता के लिए सस्‍ता परिवहन सुविधा प्रदान करती थी, बल्कि विदेशी गाडियों की एक मात्र अधिकृत विक्रेता भी थी। कलकत्ता समेत देश के तीन प्रमुख शहरों में इसके शो रूम थे। महाराजा कामेश्वर सिंह की मौत के बाद उनकी 34 कंपनियों की तरह इस कंपनी की दशा भी खराब होती गयी। इस कंपनी के आखिरी निदेशक द्वारिका नाथ झा ने 70 के दशक के अंत में इस कंपनी को हमेशा के लिए बंद कर दिया। दस्तावेज की जांच के दौरान पता चला कि इस कंपनी की आखिरी एजीएम से संबंधित कोई दस्तावेज संबंधित कार्यालयों में उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं Ministry of Corporate Affairs (MCA) के पास भी इसकी आखिरी balance sheet उपलब्ध नहीं है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि तिरहुत सरकार का एक और वेलफेयर विजन को देश ने नजरअंदाज किया है, साथ ही भारत में पब्लिक ट्रास्पोर्ट की एक नयी रवीश लिखनेवाली इस कंपनी का इतिहास भी हमेशा के लिए ओझल कर दिया गया। शेष जानकारी बाद में...।

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