बुधवार, 10 दिसंबर 2014

संटुआ कहिन १ - स्वच्छ भारत


रे संटुआ, मुझौसा कुकराहा, कहां मर गया रे कपरझर्डू...। लो देखो इसको, रे तोडा कहले रहियो जे सफाई कर आ तू इ का झाडू-पोछा से संन्यास लेने का पोस्टर बना रहा है। का बोला
एलान करेगा कि अब झाडू-पोछा नहीं करेगा, तो रे संटुआ सफाई का तोरा इ पोस्टर से होगा। का बोला मैं पागल हूं, सठिया गयी हूं, बडा बोल रहा है तू, गरमी उतार दूंगी। का बोला तू बदलते मौसम को देखकर ही यह फैसला किया है। रे जब जाडू और पोछा पकडेगा ही नहीं तो सफाई कैसे करेगा। क्या बोला जैसे बिना चुनाव लडे, पार्टी का सदस्य बने लोग राजनीति कर लेते हैं।..भागता है यहां से भंगेरी कहीं का, चल चाह बना।

~ कुमुद सिंह

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