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मनीगाछी, दरभंगा (बिहार) |
ऐसा नाम क्यों रखा गया। न तो सांप का मणि पेड पर उगते हैं और न ही अंग्रेजों का मनी अर्थात पैसा ही पेड पर उगता है। अभी एक दस्तावजे पढ रही थी तो अचानक इस जगह के नामकरण का पता चला। 1876 में तिरहुत के मैनेजर कर्नल ब्राउन सेवानिवृत हो गये और उनके स्थान पर मैनेजर नियुक्ति हुए मेजर मनी। मेजर मनी रहिका और झंझारपुर सर्किल में बहुत काम किया। उन्होंने झंझारपुर सर्किल में एक बडा सा तालाब और 100 बीघे का बगान का निर्माण कराया। बगान को तिरहुत में गाछी कहते हैं। बहुत दिनों तक इस गाछी को लोग मनीगाछी के नाम से पुकारते थे, बाद में गाछी तो खत्म हो गया, लेकिन नाम रह गया।
~ कुमुद सिंह
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